अलग-अलग त्रिवेनियाँ 
अजी कुरेदते हैं क्या राख मिरी 
जो मर गए क्या ख़ाक मिलेंगे...!!
तमाम सीनों को चीर के देखो 
दिल तो सबके ही चाक मिलेंगे....!!
क्या अदा है इन अदावारों की 
दूर से ही कहते हैं,फिर मिलेंगे.....!!
आज सोना बटोर कर खुश होते हैं 
और कल जमीं पर राख मिलेंगे....!!
गले मिलने की नौबत कब आएगी 
भई,पहले तो प्यार से हाथ मिलेंगे !!
अभी तुझमें बहुत गर्मी है "गाफिल" 
तुझसे इक ठोकर के बाद मिलेंगे !!
 

 
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