दिल रुबा ये तो बतला , तुम्हारा ठिकाना कहाँ  है

किस  राह  से  चलना   है, मुझे  जाना  कहाँ  है

 

सुना  है , तुम पर मरने  वाले लाखों हैं  शहर  में

मैं चाहूँ अगर मरना ,तो मरने का  ठिकाना कहाँ है

 

कब से  ढूँढ़ रहा हूँ , नजर आती नहीं तुम,  तुमको

सुनाना  था दिले -हाल अपना ,मगर सुनाना कहाँ है

 

ये नयन तरसते हैं ,दिल उदास है, प्राण बिना काया

जीये  तो कैसे, बतलाना था मगर, बतलाना कहाँ है

 

पूछते हैं लोग मुझसे , तुम्हारे दिल को किसने तोड़ा

दिखाना तो था ,तुम्हारे घर  का  ठिकाना  कहाँ  है

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