दिल
–
रुबा
ये
तो
बतला
,
तुम्हारा
ठिकाना
कहाँ
है
किस
राह
से
चलना
है,
मुझे
जाना
कहाँ
है
सुना
है
,
तुम
पर
मरने
वाले
लाखों
हैं
शहर
में
मैं
चाहूँ
अगर
मरना
,तो
मरने
का
ठिकाना
कहाँ
है
कब
से
ढूँढ़
रहा
हूँ
,
नजर
आती
नहीं
तुम,
तुमको
सुनाना
था
दिले
-हाल
अपना
,मगर
सुनाना
कहाँ
है
ये
नयन
तरसते
हैं
,दिल
उदास
है,
प्राण
बिना
काया
जीये
तो
कैसे,
बतलाना
था
मगर,
बतलाना
कहाँ
है
पूछते
हैं
लोग
मुझसे
,
तुम्हारे
दिल
को
किसने
तोड़ा
दिखाना
तो
था
,तुम्हारे
घर
का
ठिकाना
कहाँ
है