दुनिया में
जीना आसान नहीं है
सिवा तुम्हारे,कोई पहचान नहीं है
मंदिर में
है, अब पत्थर
बैठा
मिलता वहाँ
भगवान नहीं
है
कोई चाहे
कुछ भी कह
ले
मेरे दिल
में कोई आन नहीं है
माना कि हुस्न
अभी नादान है
मगर नज़रें अब नादान नहीं है
आखिर उल- उम्र
क्या
होगा
इसका जरा भी ध्यान नहीं है
कत्ल करती
जिस
बेरहमी
से
जिंदा रहना, आसान
नहीं है
सब कसूर
है निगाहों
की
वरना, हुस्न बुहतान नहीं है