जमाने को  देख जब वह शरमाने लगी

नजरें  क्या  जुल्फ़  भी बलखाने लगी

 

खुदा  जाने बात  क्या  है, याद उसकी

गुलजारों    को   भी  महकाने  लगी

 

कहने  वाले  तो  यहाँ  तक  कह रहे

चाल  भी  अब  कयामत  ढाने  लगी

 

निगाहेंशौक  की बात  छोड़िये बज़्में-

अंजुम भी कहानी उसकी दोहराने लगी

 

मुसाफ़िर रास्ता भूल जाने लगा,जब से

वह  मुखड़े  से  घूँघट  सरकाने  लगी

HTML Comment Box is loading comments...

 

 

Free Web Hosting