मोहब्बत
के
जज़्बे
फ़ना
हो
गये
मेरे
दोस्त
क्या
से
तुम
क्या
हो
गये
कभी
आरजू
थी,
निकले
दम
तुम्हारा
मेरे
दर
के
आगे,
उसके
क्या
हो
गये
कहते
थे,
लो
आ
गया
कातिल
तुम्हारा
दोनों
हाथ
बाँधे
उनके
क्या
हो
गये
वो
बेबाकी
के
दिन,
याद
है
मुझको
तुम्हारे
मोहब्बत
के
जज़्बे
को
क्या
हो
गये
जब
भी
मिले
तुम,
मिले
मुसकुरा
के
आज
नजरों
को
ये
क्या
हो
गये