क्यों
करते
नहीं
कोई
बात, मुझ
दिल
- बीमार से
कहते, कटते हैं लोग
यहाँ फ़ूलों
के भी
धार से
जब तक ऊँची
न हो , ज़मीर की लौ, तब तक
होते नहीं
प्राण रौशन,
आँखों के
दीदार से
अखड़ियों में जल
रहा, उसके जुल्मों, अव्वली का
चराग,लौ शोला न बन जाये,उसकी सूरते तकरार से
मोहब्बत की राह में कैसी- कैसी मुसीबतें
हैं आती
न चाहकर भी
दिल-ए-हाल बताना
होता यार से
जुनूं दिला
जाता
रह- रहकर
उसकी याद
तालए- बेदार हार
जाता, दिल
-ए -बेकरार से