याद है
भूल कर ना भूल पाए, वो भुलाना याद है
पास आये, फिर बिछड़ कर दूर जाना याद है
हाथ ज़ख्मी हो गए, इक फूल पाने के लिए
प्यार से फिर फूल बालों में सजाना याद है
ग़म लिए दर्दे-शमां जलती रही बुझती रही
रौशनी के नाम पर दिल को जलाना याद है
सूने दिल में गूंजती थी, मदभरी मीठी सदा
धड़कनें जो गा रही थीं, वो तराना याद है
ज़िन्दगी भी छांव में जलती रही यादें लिये
आग दिल की आंसुओं से ही बुझाना याद है
रह गया क्या देखना, बीते सुनहरे ख़्वाब को
होंट में आंचल दबा कर मुस्कुराना याद है
जब मिले मुझ से मगर इक अजनबी की ही तरह
अब उमीदे-पुरसिशे-ग़म को भुलाना याद है
महावीर शर्मा
--------------------------------------------------------------------------