दुनिया है एक धर्मशाला
मेरे देश के ठीकेदारो , मत हँसो इन गरीबों पर
ऐसा न हो एक दिन , ये गरीब हँसें तुम पर
ये शूट- बूट , ये महल – चौबारे , चिड़ियों का होगा डेरा
तिजोरी की चाभी चुरा ले जायेगा लुटेरा
तुम्हारे घर भी मातम होगा, तुम्हारा भी निकलेगा दिवाला
दाने -दाने को तरसेगा तुम्हारे आँगन में खेलने वाला
मत गुमान कर इस ठाठ -बाट पर यहाँ दो दिन है बसेरा
बूँद भर पानी से गल जायेगा , यह नहीं है टिकनेवाला
ये घोड़े , ये हाथी , पलंग सोने - चाँदी वाला
सब धरा रह जायेगा यहीं , तुम जायेगा अकेला
हम सभी यहाँ मुसाफिर हैं , दुनिया है एक धर्मशाला
आया है सो जायेगा , यहाँ दो दिन का है मेला
राजा हो या रंक – भिखारी , सब का आयेगा बुलावा
यही नियति का नियम है , यह नहीं बदलने वाला