कभी यूँ भी हो
देखूं तुम्हे ओस में भीगे हुए
रेशमी किरणों के साए तले सारी रात
चुन लूँ तुम्हारी सिहरन को
हथेलियों में थाम तुम्हारा हाथ
महसूस कर लूँ तुम्हारे होठों पे बिखरी
मोतियों की कशमश को
अपनी पलकों के आस पास
छु लूँ तुम्हारे साँसों की उष्णता
रुपहले स्वप्नों के साथ साथ
ओढ़ लूँ एहसास की मखमली चादर
जिसमे हो तुम्हरी स्निग्धता का ताप
कभी यूँ भी हो .....
देखूं तुम्हे ओस में भीगे हुए
रेशमी किरणों के साए तले सारी रात