गीत


कवि कमल किशोर शर्मा


जिंदगी में जीते जी कुछ ऐसा करें ।
हम रहें या न रहें, याद आया करें ॥
पथ में फ़ूल हो, शूल हो, सिर्फ़ चलते रहें ।
हम दीया बन के राहों में जलते रहें ॥
खुशी हो या गम, सदा मुसकुराया करें ।
हम रहें या न रहें, याद आया करें ॥
दूसरों के दुख का हमें एहसास हो ।
कुटिया में भी सूरज का आभास हो ।।
गीत गम से ही सही, गुनगुनाया करें ।
हम रहें या न रहें, याद आया करें ॥
न हो कोई भूखा, न कोई प्यासा हो ।
किसी आँख में भी, कोई निराशा न हो ॥
मिल -जुलकर जो मिले, अन्न खाया करें ।
हम रहें या न रहें, याद आया करें ॥

 

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