"नहीं"
देखा तुम्हें , चाहा तुम्हें ,
सोचा तुम्हें , पूजा तुम्हें,
किस्मत मे मेरी इस खुदा ने ,
क्यों तुम्हें कहीं भी लिखा नहीं .
रखा है दिल के हर तार मे ,
तेरे सिवा कुछ भी नही ,
किस्से जाकर मैं फरियाद करूं,
हमदर्द कोई मुझे दिखता नही.
बनके अश्क मेरी आँखों मे,
तुम बस गए हो उमर भर के लिए ,
कैसे तुम्हें दर्द दिखलाऊं मैं ,
अंदाजे बयान मैंने सीखा नही.
नजरें टिकी हैं हर राह पर ,
तेरा निशान काश मिल जाए कोई,
कैसे मगर यहाँ से गुजरोगे तुम,
मैं तुमाहरी मंजील ही नही.
आती जाती कोई कोई अब साँस है ,
एक बार दिल भर के काश देखूं तुझे,
मगर तू मेरा मुक्कदर नही ,
क्यों दिले नादाँ ये राज समझा नही ..............
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