कविता वक्त की स्याही में तुम्हारी रोशनी को भरकर समय की नोक पर रक्खे शब्दों का कागज़ पर कदम-कदम चलना। एक नए वज़ूद को मेरी कोख में रखकर माहिर है कितना इस कलम का मेरी उँगलियों से मिलकर तुम्हारे साथ सुलग सुलग चलना मीना चोपड़ा
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