कविता
वक्त की स्याही में
तुम्हारी रोशनी को भरकर
समय की नोक पर रक्खे
शब्दों का कागज़ पर
कदम-कदम चलना।
एक नए वज़ूद को
मेरी कोख में रखकर
माहिर है कितना
इस कलम का
मेरी उँगलियों से मिलकर
तुम्हारे साथ 
सुलग सुलग चलना 
        मीना चोपड़ा
 

 
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