एक दिन समाज के दर्शन करने घर से निकली
तो देखा समाज दौड़ रहा था........
धुएँ का ग़ुबार था, शोर का उबाल था,
मैंने पूछा - क्या पाने के लिए दौड़ रहे हो ?
लक्ष्यविहीन समाज का जवाब क्या होता !
बोला - पता नहीं !
पता नहीं तो ये दौड़ क्यों, आपाधापी क्यों ?
सबको दौड़ते देख, मैं भी दौड़ में शामिल हो गया,
यह कहते-कहते, जैसे वह एकाएक दौड़ के जुनून से बाहर आया,
बोला - पर मैं क्यों रहा हूँ दौड़ पैर सिर पे रख कर ?
मैंने कभी सोचा क्यों नहीं इस पर !
मैंने कहा - आज के ज़माने में ऐसा होता है अक्सर !


आगे बढ़ी तो चीख पुकार का ज़ोर था,
समाज हिंसा से सराबोर था,
कुछ लोग हिंसा के चक्रव्यूह में हो रहे थे ढेर,
वार कर रहे थे लोग, उन्हें चारों ओर से घेर,
मैंने पूछा - ये मार पीट क्यों ?
उद्देश्यविहीन समाज का जवाब क्या होता !
बोला - पता नहीं !
पता नहीं तो ये हिंसा क्यों ?
सबको वार करते देख, मैं भी हिंसा में शामिल हो गया,
यह कहते-कहते जैसे वह एकाएक हिंसा के जुनून से बाहर आया
बोला - पर मैं क्यों कर रहा हूँ वार उस पर ?
मैंने ज़रा भी सोचा क्यों नहीं इस पर !
मैंने कहा - आज के ज़माने में ऐसा होता है अक्सर !

आगे बढ़ी तो देखा समाज हँसते-हँसते लोट पोट था,
कोई मुँह दबाकर, तो कोई मुँह फाड़कर,
एक निरीह पागल की हरकतों को देखकर
पेट पकड़ के हँसने को जैसे मजबूर था,
हँसी के चक्रवात में चक्रम में बने समाज से,
मैंने पूछा - ज़िन्दगी में ख़ुद पर कब-कब हँसे थे ?
बुध्दिविहीन समाज का क्या जवाब होता !
बोला - पता नहीं !
पता नहीं तो तुम्हें दूसरे पे हँसने का कोई हक़ नहीं,
सबको हँसते देख मैं भी हँसी में शामिल हो गया,
यह कहते-कहते जैसे एकाएक वह हँसी के जुनून से बाहर आया,
बोला - पर मैं क्यों हँस रहा हूँ उस पर ?
मैंने कभी सोचा क्यों नहीं इस पर !
मैंने कहा - आज के ज़माने में ऐसा होता है अक्सर !

आगे बढ़ी तो देखा गली के नुक्क्ड़ पर,
फटेहाल घर के नीचे खड़ा समाज,
एक दीन हीन औरत को लांछित कर रहा था,
पुण्यात्मा समाज से मैंने पूछा - उसे क्यों धिक्कार रहे हो ?
विचारहीन समाज का क्या जवाब होता,
बोला - पता नहीं !
पता नहीं तो तुम्हें उसे धिक्कारने का कोई अधिकार नहीं,
सबके धिक्कारते देख, मैं भी शामिल हो गया,
यह कहते-कहते जैसे एकाएक वह धिक्कारने के जुनून से बाहर आया,
बोला - पर मैं क्यों कर रहा हूँ शब्दों के वार उस पर ?
मैंने कभी सोचा क्यों नहीं इस पर !
मैंने कहा - आज के ज़माने में ऐसा होता है अक्सर !

 

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