"बचपन के दिन"
टिमटिम तारे,
चंदा मामा,
माँ की थपकी मीठी लोरी|
सोंधी मिटटी,
चिडियों की बोली,
लगती प्यारी माँ से चोरी
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सुबह की
ओस सावन के झूले,
खिलती धूप में तितली पकड़ना|
माँ की घुड़की पिता का प्यार,
रोते रोते हँसने
लगना
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पल में रूठे,
पल में हँसते
,
अपने आप से बातें करना
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खेल खिलौने साथी संगी
,
इन सबसे पल भर में झगड़ना
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लगता है वो प्यारा बचपन
,
शायद लौट के ना आए
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जहाँ
उसे छोड़ा था हमने
,
वहीं
पे हमको मिल जाए
||