बैरी उर
बीते युग
पल-पल, गिन-गिन,
शिथिल हुई हर श्वास
धड़क उठा बैरी उर फिर
सुनकर किसकी पदचाप ? बह गया
रिम-झिम, रिम-झिम,
गहन घन-संताप
सजल हुआ बैरी उर फिर
सुनकर क्यूँ मेध मल्लार ? बुझ गए
झिल-मिल, झिल-मिल,
यादों के उज्जवल दीप
धधक उठा बैरी उर फिर
सुनकर क्यूँ मिलन गीत ?