“बारिशों ने घर बना लिए “

यादे तेरी अश्रुविहल हो
असहाय कर गई
 
आँखों मे कितनी 
 
बारिशों ने घर बना लिए
 
गूंजने लगा ये मौन 
 
तुझको पुकारने लगा
 
व्यथित हो सन्नाटे ने भी
 
सुर से सुर मिला लिए
 
बिखरने लगे क्षण प्रतीक्षा के
 
अधैर्य हो गये 
 
टूटती सांसो ने 
 
दुआओं मे तेरे ही 
 
हर्फ सजा लिए ............
 

 
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