बसंत
आगमन
तब जानों बसंत है आया सखी ।
जब सुमन सौरभ फैलाने लगे ।
कलियो पर भौरें आने लगे।
जब अंतर्मन कुछ गाने लगे ।
जब प्रिय की याद सताने लगे ।
तब जानों बसंत है आया सखी । तब जानों बसंत है आया सखी ।
जब आमों पे बौरें आने लगे ।
महुआ पर कोंचे छाने लगे ।
जब नव पल्लव इठलाने लगे ।
जब कोयल कूक सुनाने लगे ।
तब जानों बसंत है आया सखी । तब जानों बसंत है आया सखी ।
जब धरती ओढे बासन्ती चुनर ।
सब कुछ लगे नूतन सुंदर ।
आए मदन लिए जब सुमन सर ।
जब मन भागे अनजान डगर ।
तब जानों बसंत है आया सखी । तब जानों बसंत है आया सखी ।
रस फाग उठे जब गावों में ।
जब पंख लगे हों पावों में ।
जब धूप में चैन न छावों में ।
कोई रस भर दे जब भावों में ।
तब जानों बसंत है आया सखी । तब जानों बसंत है आया सखी ।
जब फगुनी बयार बहन लागे ।
जब बरबस चुनरी उड़न लागे ।
जब बुढाऊ लहुरा लगन लागे ।
बिन पायल बजे सजन जागे ।
तब जानों बसंत है आया सखी । तब जानों बसंत है आया सखी ।