खुशियाँ
बीरबहूटी होती हैं
जो मेरे
भीगे ख्यालों की
सौंधी मिटटी पर
आती हैं
कुछ समय के लिए
और फिर उसके
इंतज़ार की कसक में
जोड़ता हूँ हाथ
रब के सामने
फिर से बारिश के लिए !