छात्र जीवन है प्यारा सदा से रहा
छात्र बचपन का जीवन सदा ही रहे।
छात्र जीवन के सुख का बयां क्या करे
छात्र जीवन की बातें हम कितनी कहे।।1।।
साथ ककड़ी चुराना औ संग आम को
देखा पिटते हुए मैने जब श्याम को।
सायकिल सीने के ऊपर चढ़ी जब गिरे
और लगाते हुए जन सदा कहकहे।।2।।
था जवानी का आलम बदन खुशनुमा
थे पहाड़े में पढ़ते मुहॅं चुम्मी चुम्मा।
कितने डण्डे गिरे पर न थी होश तब
जाने कितने से मोती से ऑंसू बहे।।3।।
खेलते थे सदा प्यार से खेल हम
तब सताते नही थे हमे कोई गम।
अब तो खुशियॉं न जाने कहॉं मिट गयी
दिल के अरमान बेबस है लुटते रहे।।4।।
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