दीप-पर्व
. ओ आद्याशक्ति महालक्ष्मी! आओ सर्व-हित प्रेरक बन मन पर छाओ! . जन-जन का अन्तर आत्मीय भाव से परिपूरित हो, वसुधा का कण-कण शीतल प्रकाश से ज्योतित हो! . सर्वत्र आर्द्र स्नेह भरो! कृतकृत्य करो! . रात अमावस्या की प्रज्वलित दीपों से जगमग हो, अंधकार एकांत स्वार्थ का डगमग हो! . हम मिलें परस्पर नाचे-गाएँ नाना वाद्य बजाएँ हर्ष मनाएँ!
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