सूरज उदय पर थोड़ी है
निराशा शायद !
बुझेगा नही ये "दीपक" अब भी
आशा है शायद !
अभी तेरे उजाले - अंधियारे में मिले
निराशा शायद !
एक दिन तो "दीपक" का होगा
आशा है शायद !
पथ बदलेगें कांटे से, ये तेरी
निराशा शायद !
हम उन्हें मोती बना देंगे
आशा है शायद !
दुश्मन इस जमाने को लगे हाथ
निराशा शायद !
दिल में भी प्यार कि "किरण" जगा देगा
यही हो इस "दीपक" से
आशा है शायद !!!