गीता की धरती
 
भारत राधा की धरती है, सीता की धरती है,
इसको सिर आंखों पर रखो, गीता की धरती है।
 
 
जहां सभी धर्मों, पंथों की, पूजा की जाती है,
जहां पे पत्थरों और पेड़ों की, पूजा की जाती है,
तुझको नमस्कार तू धन्ना , मीरा की धरती है।
 
जहां पे माता भी देवी है, बेटी भी देवी है,
जहां पिता भी देव तुल्य है, बीवी भी देवी है,
जहां गुरू भी देव है ऐसी, श्रद्धा की धरती है।
 
जहां जनम भी इक उत्सव है, कर्म भी इक उत्सव है,
जहां मौत भी इक उत्सव है, धर्म भी इक उत्सव है,
जीवन भी उत्सव है ऐसी, महिमा की धरती है।
 
जिसके दिलमें देश प्रेम और, देश का मान नहीं है,
वो कुछ भी बन जाए लेकिन, वो इनसान नहीं है,
ये शिवाजी, गांधी, झांसी, राणा की धरती है।
Ashok Kumar Vashist 

 

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