घटाएँ

छा गये सारे गगन पर

नव घने घन मिल मनोहर,

दे रहे हैं त्रस्त भू को आज तो शत-शत दुआएँ!

देख लो, कितनी अँधेरी हैं घटाएँ!

 

कर रहा है व्योम गर्जन,

मंद्र ध्वनि से, वाद्य-सा बन,

चाहता देना सुना जो आज सारी स्वर-कलाएँ!

देख लो, ये व्योम-चेरी हैं घटाएँ!

 

अरुक बरसो बिन्दु जल के

तीव्र गति से, ना कि हलके,

विश्व भर में वृष्टि कर दो, दूर हों सारी बलाएँ!

देख लो, कितनी घनेरी हैं घटाएँ!

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