जो सच है पीठ थपथपा रहे हैं लोग एक-दूसरे की दे रहें हैं फ़तवे. बांट रहे हैं प्रमाण -पत्र महाकवि होने के अपनी चांडाल चौकड़ी के सदस्यों को दुन्दभी भी बज रही है सत्ता के प्राचीरों पर इन महन्तो मठाधीशों के सम्मान में मगर चण्डूखाने में पनवाड़ी की दूकान पर गाँव देहात की चौपालों में लग रहें हैं ठुमके इस मुखड़े पर सजन रे! झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है.
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