"लगा हूँ" 

वहीं पर तुम जहाँ हो काग़जों पर,
वहीं मैं आजकल रहने लगा हूँ .......

जिगर के दिल के हर एक दर्द से मैं,
रवां दरिया सा इक बहने लगा हूँ .......

सुना दी आईने ने दिल की बातें,
तुम्हे मैं आजकल पहने लगा हूँ .........

तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........

सूनी क्या तुमने भी मेरे दिल की बातें ???
 
तुम्हीं से तो मैं सभी कहने लगा हूँ.......... 
 

 
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