"माँ सरस्वती वंदना "
 
हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......
हे, अमृत रस, वर्षाने वाली.........
तेरी, महिमा अपरम्पार,
तुझको, पूज रहा संसार .........२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

जो जन तेरी, शरण में आते,
बल बुद्धि विद्या, ज्ञान हैं पाते ..........२
हे मोक्षदायिनी, देवी माता ......२
कर दो बेड़ा पार ...........
तुझको पूज रहा संसार .........२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

हम पर कृपा बनाये रखना ,
ज्ञान से मन हर्षाये रखना .....२
हे वीणाधारिणी हंसवाहिनी .......२
हर लो, जग का सब अंधकार .......
तुझको पूज रहा संसार ....२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......2

रचयिता ,
अम्बरीष श्रीवास्तव "वास्तुशिल्प अभियंता"

 

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