माँ
कवि कमल किशोर शर्मा
उँगली पकड़कर चलती है माँ
जीवन में बड़ा बनाती है माँ
ममता का सागर है माँ
अनमोल प्रेम की गागर है माँ
दुखों के सागर से बचाती है माँ
सुखों का अमृत पिलाती है माँ
विपदाओं में तारणहार है माँ
हम सब की पालनहार है माँ
माँ की महिमा बड़ी निराली है
माँ ही बच्चों की रखवाली है
माँ से ही बच्चों की शान है
माँ इसलिए सदा महान है
माँ की जैसी नहीं है कोई दूजा
माँ की संसार करता है पूजा
माँ में कितनी मिठास है
माँ के हृदय सभी का वास है
माँ की महिमा बड़ी निराली है
माँ पिलाती सब को अमृत प्याली है