महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता
कोई पेशा ,कोई व्यवसाय नही है कविता ।
कविता शौक से भी लिखने का काम नहीं
इतनी सस्ती भी नहीं , इतनी बेदाम नहीं ।
कविता इंसान के ह्रदय का उच्छ्वास है,
मन की भीनी उमंग , मानवीय अहसास है ।
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नही हैं कविता
कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥

कभी भी कविता विषय की मोहताज़ नहीं
नयन नीर है कविता, राग -साज़ भी नहीं ।
कभी कविता किसी अल्हड यौवन का नाज़ है
कभी दुःख से भरी ह्रदय की आवाज है
कभी धड़कन तो कभी लहू की रवानी है
कभी रोटी की , कभी भूख की कहानी है ।
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता,
कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥

मुफलिस ज़िस्म का उघडा बदन है कभी
बेकफन लाश पर चदता हुआ कफ़न है कभी ।
बेबस इंसान का भीगा हुआ नयन है कभी,
सर्दीली रात में ठिठुरता हुआ तन है कभी ।
कविता बहती हुई आंखों में चिपका पीप है ,
कविता दूर नहीं कहीं, इंसान के समीप हैं ।
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता,
कोई पेशा, कोई व्यवसाय नहीं है कविता

 

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