मन
बहुत
पगला
रहा
है....!!
मन
बहुत
अकुला
रहा
है...
ख़ुद
को
अभिव्यक्त
ही
कर
पा
रहा
है....
शरीर
इक
शव
बन
गया
है...
और
दिल
भी
पत्थर
हुआ
जा
रहा
है....
जिनको
सौंप
कर
अपना
कीमती
इक-इक
वोट
निश्चिंत
हो
गए
हैं
एकदम
से
हम...
वही
हर
इक
शख्स....
हमारे
चिथड़े-चिथड़े
कर
रहा
है...
और
हमारी
चिन्दियाँ-चिन्दियाँ.....
नोच-नोच
कर
खाए
जा
रहा
है....
दिन
भर
की
कसरत
के
बाद
भी....
किसी
को
नसीब
नहीं
बीस
रुप्पल्ली....
बीस-बीस
हज़ार
माहवार
पाने
वाला
कामगार....
राज-ब-रोज
हड़ताल
पर
जा
रहा
है.....
मेरे
आस
पास
ये
भूखे...नंगे
और
बदहाल
लोगों
की
भीड़-सी
कैसी
है.....
मेरा
देश
तो
बरसों
से
ही
शाईनिंग
इंडिया....
शाईनिंग
इंडिया
की
दुदुम्भी
बजा
रहा
है.....
हर
तरफ़
गंदगी-ही-गंदगी
का
आलम
है.....
अबे
चुप
करके
बैठ
जा
ना
तू.....
मेरा
नेता
अभी
ऐ.सी.
की
हवा
में......
चैन
की
बंशी
बजा
रहा
है.....
मेरा
दिल
किसी
करवट.....
चैन
ही
नहीं
पा
रहा
है....
ना
जाने
ये
किस
आशंका
से
घबरा
रहा
है.....