नारी कहे

नारी कहे

क्यों बनू मैं सीता

तुम राम बनो या बनो

मैं अग्नि परीक्षा में झोकी जाऊँगी

तुम तो फ़िर रहोगे महलो में

और मैं वनवास को जाऊँगी

नारी कहे

क्यों बनू मैं द्रोपदी

तुम धर्म-राज बनो या बनो

मैं तो जुए में फ़िर हार दी जाऊँगी

तुम करोगे महाभारत सत्ता को

इसकी दोषी मैं रख दी जाऊँगी

नारी कहे

क्यों बनू मैं तारा

तुम हरिश्चंद बनो या बनो

मैं तो नीच कहलादी जाऊँगी

मेरे बच्चे को मारोगे तुम

उसे जीवित कराने को मैं बुलाई जाऊँगी

नारी कहे

क्यों बनू मैं मीरा

तुम कान्हा बनो या बनो

मेरी भक्ति तो फ़िर लज्जित की जायेगी

तुम को तो कुछ होगा

और मैं विषपान को विवश की जाऊँगी

नारी कहे

क्यों बनू मैं अहिल्या

मैं तो फ़िर किसी इन्द्र के द्वारा छली जाऊँगी

और जीवन पत्थर बन राम की प्रतिक्षा में बिताओंगी

नारी कहे , कोई बताय

क्यों बनू मैं आदर्श नारी

क्या कोई आदर्श पुरूष मैं पाऊँगी ...

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