न पहनो पत्थर उँगलियों में, तुम खुद पत्थर बन जाऔगे।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, कर्म करना भूल जाऔगे।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, पत्थरों पर निर्भर रह जाऔगे।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, तुम खुद में सिमट जाऔगे।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, तुम इन्सानियत भूल जाऔगे।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, रिश्ते नाते पत्थर बन जाएगें।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, व्हवाहरिकता से कोसों दूर चले जाऔगे।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, मानसिक रोगी बन जाऔगे।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, तुम पत्थरों में सिमट जाऔगे।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, तुम्हारी जिन्दगी पत्थर बन जाएगी।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, तुम्हारा व्यवहार पत्थर हो जाएगा।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, तुम्हारी भाषा पत्थर बन जाएगी।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, नींद न आएगी पत्थरों से।
न पहनो पत्थर उँगलियों में, फल न मिलेगा पत्थरों से।
उतार फेंकों उँगलियों से पत्थरो को,
कर्म करो।
इंसान बनो।
कर्मयोगी बनो।
फल मिलेगा कर्म से।
जाने जाऔगो कर्म से।
नाम होगा कर्म से।
रिश्ते बनेंगें कर्म से।
खुशी मिलेगी कर्म से।
अमर बनोगें कर्म से।
भूल जाऔ पत्थरों को, उतार फेंकों उँगलियों से पत्थरों को।

 

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