पुकार
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क्या पुकार सुनता है भगवान
क्या पुकार सुन के लौट आता है
गया इन्सान
पुकार में असर है क्या अपने
के सुन के सीधा हो
जाये शैतान
फिर भी क्यों पुकारती हूँ मै
सोच के खुद होती हूँ हैरान
कोख में दफन होती बच्ची
भी तो पुकारा की
क्या सुनी किसीने उस की
पुकार
रैगिंग के नाम पर पीटा किये
मदद्त के वास्ते चीखा किया
.
नशे और ठहाकों में दब गई उस की पुकार
अन्धाधुन्ध बरसाई गोलियां उनपर
उन निर्दोषों ने भी पुकार लगाई
पर की न किसी ने कृपा दृष्टि उनपर
८ साल की थी वो मासूम
क्यों नोचा गया पंख उस का
उस को मालूम न था
मदद की चाह
में
गुहार लगाती रही
जबतक रहीं सांसें वो चिल्लाती रही
सुन के भी न सुनी
किसी ने उस की पुकार
सुन ली जाये
जो पुकार
तो दुआ बन जाती है
वरना अख़बारों की
सुर्खियाँ
और टी आर पी
बढाती
न्यूज़ चॅनल की हेड लाइन बन जाती है