“स्वागत है नव वर्ष का”

ज्यों वृक्षों की डालियाँ, कोपल जनैं नवीन |
आये ये नव वर्ष त्यों , जैसे मेघ कुलीन ||

उजियारा दीखे वहाँ, जहाँ जहाँ तक दृष्टि |
सरस वृष्टि होती रहें, हरी भरी हो सृष्टि ||

सपने पूरे हों सभी, मन में हो उत्साह |
अलंकार रस छंद का, अनुपम रहें प्रवाह ||

 

अभियंत्रण साहित्य संग, सबल होय तकनीक |
मूल्य ह्रास अब तो रुके, छोड़ें अब हम लीक ||

 

गुरुजन गुरुतर ज्ञान दें, शिष्य गहें भरपूर |
सरस्वती की हो कृपा, लक्ष्य रहें ना दूर ||

 

सबको सब सम्मान दें, जन जन में हो प्यार |
मातु पिता से सब करें, सादर नेह दुलार ||

बड़े बड़े सब काज हों, फूले फले प्रदेश |
दुनिया के रंगमंच पर, आये भारत देश ||

कार्य सफल होवें सभी, आये ऐसी शक्ति |

शिक्षित सारे हों यहाँ, मुखरित हो अभिव्यक्ति ||

 

बैर भाव सब दूर हों, आतंकी हों नष्ट |
शांति सुधा हो  विश्व में , दूर रहें सब कष्ट ||

 
प्रेम सुधा रस से भरे, राजतन्त्र की नीति |
दुःख से सब जन दूर हों, सुख की हो अनुभूति ||

 

सुरभित होवें जन सभी, अपनी ये आवाज़ |

स्वागत है नव वर्ष का, नित  नव होवें काज ||

 

अंत में सभी के लिए संदेश...........

 

अनुपम आये वर्ष ये, अम्बरीष की आस ||
अब सब कुछ है आप पर, मिलकर  करें प्रयास ||

--अम्बरीष श्रीवास्तव
 

 
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