"स्वामी विवेकानंद के सदवचन"
बल से जीवन संचरण, दुर्बल मौत समान |
निराशा अपनी शत्रु है , साहस से कल्याण ||
पूरे मन जी प्राण से, कुछ भी कर लो काम |
मानव तन ही श्रेष्ठतम्, कर लो इसे प्रणाम ||
सेवा त्याग ह्रदय बसै, सीरदार सरदार |
करने को अपनी मदद, सदा रहो तैयार ||
उन्नति हेतु उपाय ये , अपने पर विश्वास |
रुचि अनुसार पाओगे , भगवन होंगे पास ||
निर्भय हों संदेह का, होगा सदा विनाश |
अव्यक्त ब्रह्म आत्मा , शिक्षा सबसे खास ||
नास्तिक जग में है वही , खुद पर ना विश्वास |
जैसी हो एकाग्रता , उतनी पूरी आस ||
इन वचनों को प्रेम से , सब जन यदि अपनाय |
भारत तब संसार में, महाशक्ति हो जाय ||
--अम्बरीष श्रीवास्तव
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