तुम मेरे पास हो...
-अजन्ता
शर्मा
तुम ख्याल बन,
मेरी अधजगी रातों में उतरे हो।
मेरे मुस्काते लबों से लेकर...
उँगलियों की शरारत तक।
तुम सिमटे
हो मेरी करवट की सरसराहट में,
कभी बिखरे
हो खुशबू बनकर..
जिसे अपनी देह से लपेट,
आभास लेती हूँ तुम्हारे आलिंगन का।
जाने
कितने रूप छुपे हैं तुम्हारे,
मेरी बन्द पलकों के कोनों में...
जाने कई घटनायें हैं और गढ़ी हुई कहानियाँ...
जिनके विभिन्न शुरुआत हैं
परंतु एक ही अंत
स्वप्न से लेकर ..उचटती नींद तक
मेरे सर्वस्व पर तुम्हारा एकाधिपत्य।