उत्तर
-अजन्ता शर्मा
मरिचिका से भ्रमित होकर
वो प्रश्न कर बैठे हैं
थोडा पास आकर देखें
जीवन बिल्कुल सपाट है
अपने निष्टुर आंखों से
जो आग उगलते रहते हैं
उनपर बर्फ सा गिरता
मेरा निश्छल अट्ठास है
जीवन ने फल जो दिया
वह अन्तकाल मे नीम हुआ
उसे निगल भी मुस्काती
हमारे रिश्ते की मिठास है
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