"जिदगी भर यही सोचता रह गया"

मुझसे मुंह मोड़ कर तुम को जाते हुए,

मूक दर्शक बना देखता रह गया ,

क्या मिला था तुम्हें दिल मेरा तोड़ कर,

जिंदगी भर यही सोचता रह गया ???


भूलने के लिये तुमको हम ने जतन,

क्या नहीं हैं किये जान--मन,

उतने ही याद आये हो तुम रात दिन,

अपनी यादों से मैं जूझता रह गया???

रास्ता जब बनी रास्ते की गली,

मैं जो गुजरा कभी धडकने बढ़ गयी,

एक खिड़की खुली और तुम्हें देख कर,

मैं जहाँ पर खडा था खडा रह गया???


"
जिदगी भर यही सोचता रह गया"

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