संस्कृत ऒर जॆन धर्म की शिक्षा इन्टर्नेट पर अगस्त २००९ से नोर्थ केरोलिना विश्वविद्यालय, अमेरिका में
डा. पंकज जॆन अगस्त २००९ से हिन्दी, संस्कृत ऒर जॆन धर्म के नये कोर्स नोर्थ
केरोलिना विश्वविद्यालय, यू.एस.ए. में पढाएंगे.
डॉ.
जैन
विश्वविद्यालय
में
अगस्त
२००८
से
विदेशी
भाषा
तथा
साहित्य
के
विभाग
में
कार्यरत
हैं।
उल्लेखनीय
है
कि
ये
विषय
इन्टर्नेट
पर
भी
उपलब्ध
होंगे
और
इन्हें
विश्व
में
कहीं
से
भी
पढ़ा
जा
सकेगा।
इससे पूर्व वे न्��ू जर्सी में भी हिन्दी, संस्कृत तथा अन्य भारतीय विषय
पढा चुके हॆं जबकि वे अपनी पी.एच.डी. पूरी कर रहे थे. वे अमेरिका में हज़ारों
कम्प्यूटर इन्जीनियर्स की तरह आए थे. कालान्तर में
उन्होंने
अपना
करियर
बदल
लिया
और
पहले
कोलम्बिया
विश्वविद्यालय
से “भारतीय
धर्म
व
संस्कृत”
में
मास्टर्स,
तत्पश्चात
आयोवा
विश्वविद्यालय से
२००८
में
पी.एच.डी.
हासिल
की।
आजकल
वे
नॉर्थ
केरोलिना
विश्वविद्यालय
में
प्राथमिक
हिन्दी,
हिन्दी
फ़िल्में,
हिन्दू
धर्म
तथा
हिन्दी-उर्दू
साहित्य
पढ़ा
रहे
हैं।
डा. पंकज जॆन के अनुसार भारत ऒर चीन के प्रति आजकल बहुत रुचि बढ रही हॆ. भारत की
आर्थिक तथा तकनीकी प्रगति, योग, तथा हिन्दी फ़िल्मों के कारण भारतीय विषयों में
विद्यार्थियों की संख्या पहले से कहीं
अधिक
हॆ.
फ़िर भी, जॆन धर्म के लम्बे इतिहास व समसामयिक महत्त्व के
बावजूद इसका अध्ययन कम किया जाता हॆ. इसी कमी को पूरा करने के लिये उन्होंने जॆन
धर्म के नये कोर्स को प्रारम्भ किया हॆ:
“महावीर से महात्मा गांधी तक: भारत की अहिंसक जॆन परम्पराएं”. इसमें जॆन इतिहास,
पूजा पद्धतियां, जॆन दर्शन तथा कर्म सिद्धान्त, जॆन समाज, गांधीजी, डा. मार्टिन
लूथर किंग तथा अहिंसा का समसामयिक महत्त्व आदि पढाया जायेगा.
संस्कृत के कोर्स में वर्णमाला से लेकर संज्ञा, धातु, लकार, प्रत्यय, उपसर्ग,
सन्धि, समास तथा व्याकरण के अन्य सिद्धान्त पढाये जायेंगे. रामायण की कथा भी
सम्मिलित की जायेगी. डा. जॆन के अनुसार संस्कृत, ग्रीक, तथा लॆटिन प्राचीनतम
इंडो-युरोपीयन भाषाएं कहीं जातीं हॆ, तीनों में अनेक समानताएं हॆ तथा उनका
तुलनात्मक अध्ययन विशेषकर लाभप्रद होगा.
पंकज का जन्म राजस्थान में हुआ था तथा वे कर्नाटक, मुम्बई,
अहमदाबाद
तथा हॆदराबाद में भी रह चुके
हॆं. उनकी पत्नी सोनिया एक चित्रकार हॆं तथा
भारतीय
कला प्रदर्शनी तथा दीर्घा चलाती हॆं. उनके दो पुत्र हॆं.
हिन्दी, संस्कृत ऒर जॆन धर्म के नये कोर्स उनकी वेब साइट पर उपलब्ध हॆं:
www.IndicUniversity.org