स्पिक मैके का हेरिटेज वॉक रहा सफल
चित्तौडगढ.पांच दिसंबर.दुर्ग चित्तौड़ के लिए स्पिक मैके और वात्सल्य संस्थान के संयुक्त आयोजन में शहर के एक छात्रावास के लगभग पचास विद्यार्थियों ने इतिहास के महत्व को बारीकी से जाना.विरासत के बारे में आज की पीढ़ी को संवेदनशील बनाने के लिए स्पिक मैके की इस सालाना होने वाली गतिविधि की शुरुआत इस बार के लिए पांच दिसंबर को हुई. सुबह साड़े नौ बजे पाडन पोल से रवाना हुए दल को स्पिक मैके चित्तौड़गढ़ शाखा समन्वयक जे.पी.भटनागर और जिला रजिस्ट्रार विभाग में कार्यरत राम सिंह ने हरी झंडी दी. दल ने पूरे रास्ते इतिहास की जानकार और हिंदी साहित्यकार दिनकर पर शोधरत रेणु व्यास के सानिध्य में बातचीत की.

ग्यारह बजे कुम्भा महल परिसर में एक परिसंवाद का आयोजन हुआ जिसमें आरंभ में कार्यक्रम के सूत्रधार स्पिक मैके राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य माणिक ने रेणु व्यास का परिचय देते हुए चर्चा की रूपरेखा सभी के समक्ष रखी.विद्यार्थियों के साथ घंटेभर तक चले रोचक संवाद से हेरिटेज वॉक को पूर्ण आकार मिल पाया.अपने विचारों में रेणु ने बहुत सारे ऐतिहासिक स्थलों और महान व्यक्तित्वों का ज़िक्र करते हुए हमारे राष्ट्र के वर्तमान से जुडी बहुत सी मुश्किलों का समाधान तक सुझा दिया.सारांश रूप में कहे तो किले की बुनावट और तथ्यों पर आधारित इतिहास से जो विचार उभर कर सामने आया वो ये कि हमें धार्मिक सहिष्णु होना चाहिए,राजनैतिक,आर्थिक सामाजिक आज़ादी के लिए संघर्ष करना होगा वहीं सुनी सुनाई बातों को छोड़ तथ्यों पर आधारित बातें करनी होगी.रेणु ने कहा कि इतिहास भले ही पुराना पड गया हो मगर वर्तमान की बहुत सी मुश्किलों का हल उसमें मौजूद है.तारीखों के बौज तले दबे बगैर भी इतिहास बहुत दे जाता है, बस किले आदि का भ्रमण एक मकसद के साथ करना होगा.ये विचार रेणु व्यास ने कहे.
आयोजन में प्रतिभागिता निभाने वाले छात्रों में सभी विज्ञान और गणित के विद्यार्थी थे.अभी तक किले जैसी रचानाओं को पुराना और विशाल होने के नाम पर भ्रामन योग्य मानने वाले अधिकाँश विद्यार्थी परिसंवाद की समाप्ति तक भरे भरे नज़र आए.दल ने इस बैठक में प्राप्त जानकारी के बाद बाकी बचे हुए और बातचीत में इंगित किए हुए प्रमुख स्थलों को एक नए दृष्टी से देखने के लिए मानस बनाया.दल ने अपने खाने कमाने के इर्दगिर्द चलने वाली जिन्दगी में कुछ वक्त निकाल कर देश और दुनिया के बारें में सरोकार पालने का मन बनाया. वैश्विक गाँव की अवधारणा में जहां अपनी राष्ट्रीयता को सिद्ध करने के लिए दूजे देश पर आक्रमण करने की बातें गौण हो गई है अब एक नेक इंसान बनकर लोगों को जोड़ने की बात करने का प्राण लिया.उनका अभिनन्दन मालायार्पण और प्रतीक चिन्ह द्वारा वात्सल्य संस्थान की अध्यक्षा रमा नराणीयां ने किया वहीं आभार सचिव पुष्कर नराणीयां ने जताया.

माणिक;संस्कृतिकर्मी

your comments in Unicode mangal font or in english only. Pl. give your email address also.

HTML Comment Box is loading comments...
 

Free Web Hosting