[वर्तमान वर्ष, जो समाप्त होने की ओर है हिन्दी के मुर्धन्य साहित्यकार अज्ञेयजी
के जन्मशति वर्ष के रूप मे मनाया जा रहा है। अत: यह आलेख उनकी स्मृति मे समर्पित
है। अज्ञेयजी ने अपने यात्रा संस्मरणों मे असम की सभ्यता और संस्कृति पर काफी कुछ
लिखा है। इस संदर्भ मे ‘ अरे यायावर रहेगा याद ’ का उल्लेख विशेष रुप से किया जा
सकता है।
अज्ञेयजी ने अपने ब्यक्तित्व और कृतित्व से न केवल हिन्दी साहित्य बल्कि समूचे
भारतीय साहित्य को प्रभावित्व व प्रेरित किया है। वे बहुआयामी ब्यक्तित्व के स्वामी
थे। उन्होने साहित्य की लगभग सभी प्रमुख विधाओ---- कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध,
संस्मरण, भ्रमण-वृतांत और रिपोर्ताज का बङी सफलता के साथ सृजन किया है। यदि हिन्दी
साहित्य मे पांच उपन्यासों के नाम लिए जाएँ तो ‘शेखर – एक जीवनी’ का उल्लेख करना ही
होगा। केवल साहित्य सृजन के क्षेत्र मे ही नहीं बल्कि ‘दिनमान‘ का संपादन कर
अज्ञेयजी ने पत्रकारिता के क्षेत्र मे भी नये कीर्तिमान स्थापित किये।]
अज्ञेयजी का जन्म 7 मार्च 1971 को उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले के कुशीनगर नामक
स्थान मे हुआ। कुशीनगर वही स्थान है जहां पर बुद्ध का महानिर्वाण हुआ था, जहां
सुभद्र को अंतिम दिक्षा मिली थी।