दोस्त मेरे मान भी जा वो न मुझसे दूर है
मेरे चहरे पे चमकता बस उसी का नूर है

क्या बताऊँ में इसे की इससे दिल्ली दूर है
ये मेरा दिल जानेमन तेरे नशे में चूर है

बस्तियों में महफ़िलों में सब जगह इस सहर में
इक दीवाना तुम्हारे नाम से मशहूर है

नाचता हूँ झूमता हूँ इसलिए ही दोस्तों
लुत्फ़ मेरी जिन्दगी में आज भी भरपूर है

मेरा उससे मिलना मुमकिन दोस्तों होगा नहीं
वो तो जन्नत की है खुशवू आसमा की हूर है

हमपे तो होती नहीं इस पर हुकूमत हमनशीं
दिल हमारा प्यार करने के लिए मजबूर है
हेमंत त्रिवेदी [अमन]

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