इक दर्द है दिल में किससे कहूँ.....
कब तलक यूँ ही मैं मरता रहूँ !!
सोच रहा हूँ कि अब मैं क्या करूँ
कुछ सोचता हुआ बस बैठा रहूँ !!
कुछ बातें हैं जो चुभती रहती हैं
रंगों के इस मौसम में क्या कहूँ !!
हवा में इक खामोशी-सी कैसी है
इस शोर में मैं किसे क्या कहूँ !!
मुझसे लिपटी हुई है सारी खुदाई
तू चाहे "गाफिल" तो कुछ कहूँ !!
 

 
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