कोई किसी पे न यूँ मेहरबाँ हो
के जुबान होते वो बेजुबाँ हो    

मिटा दे तू इस कदर हस्ती मेरी
ना मै रहूँ  ना मेरी दास्ताँ हो 

तन्हा उम्र तन्हा दिल तन्हा डगर कब तक
संग चलने को अब तो कोई कारवाँ हो

गुज़रे हर कसौटी से ये सोच के हम
के बाद इसके शायद ना कोई इम्तिहाँ हो
 

 
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