मैं
अपने
हाथों
में
गुलाब
लिये
फ़िरता
हूँ
तन
पिंजरे
में
दिल
बेताब
लिये
फ़िरता
हूँ
मिल
जाये
कहीं,
मेरे
दिल
की
रानी
खुली
आँखों
में
ख्वाब
लिये
फ़िरता
हूँ
टकराये
न
कभी
सय्यारे
,तेज
गर्दिशे-दौरों
में
आँखों
में
अश्रु
का
सैलाब
लिये
फ़िरता
हूँ
कैद
है
जिसमें
बदनसीब
मोहब्बत
की
बे-रुखी
कहानी
,मैं
वो
किताब
लिये
फ़िरता
हूँ
जमाना
दम
साधे
बैठा
है
जिस
सवाल
पर
मैं उस सवाल का जवाब लिये फ़िरता हूँ