मौसम का हुस्न ऐसा कि दीवाना बना दे

मौसम का हुस्न ऐसा कि दीवाना बना दे
बिन शमा, खयालात को परवाना बना दे

कजरारे, सलेटी, सफ़ेद बादलों के ख़म
शबनम की एक बूँद को मैखाना बना दे

तितलियाँ, फूल,ओस, नम हवा, नरम धनक

गुलशन सजा धजा के परीखाना बना दे

हुस्ने नज़र से यूँ पिला के होश ना रहे
साकी मुझे मुझी से अनजाना बना दे

बदली को कर सुराही, हवाओं को मैकदा
धरती को आज लुत्फ़ का पैमाना बना दे

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