गीत - आओ
दीप जलाएँ
आओ खुशी
बिखराएँ छाया
जहां गम
है ।
आओ दीप
जलाएँ गहराया
जहाँ तम
है ॥
एक किरण
भी ज्योति
की
आशा जगाती
मन में;
एक हाथ
भी कांधे
पर
पुलक जगाती
तन में;
आओ तान
छेड़ें, खोया
जहाँ सरगम
है।
आओ दीप
जलाएँ गहराया
जहाँ तम
है ॥
एक मुस्कान
भी निश्छल
जीवन को
देती संबल;
प्रभु पाने
की चाहत
निर्बल में
भर देती
बल;
आओ हंसी
बसाएँ, हुई
आँखे जहां
नम हैं।
आओ दीप
जलाएँ गहराया
जहाँ तम
है ॥
स्नेह मिले
जो अपनो
का
जीवन बन
जाता गीत;
प्यार से
मीठी बोली
दुश्मन को
बना दे
मीत;
निर्भय करें
जीवन जहाँ
मनु गया
सहम है।
आओ दीप
जलाएँ गहराया
जहाँ तम
है ॥
कवि कुलवंत
सिंह