आत्मा स्वदेश में —अभिनव शुक्ला


तन परदेस, किन्तु आत्मा स्वदेश में है,
माता भारती का गुणगान तो करूंगा मैं,
पाप मुक्त देश बने इस पुण्य कार्य हेतु,
बाबाजी तुम्हारा सम्मान तो करूंगा मैं,
भावना से भावना के तार जुड़ते हैं सुना,
हृदय में हृदय का गान तो भरूँगा मैं,
चार जून को तुम्हारे साथ ही रहेगा मन,
व्रत उपवास तप ध्यान तो करूंगा मैं.

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