कभी लिखो एक चिठ्ठी तुम
तुम
पत्र लिखते हो
चिठ्ठी नहीं
लिखो कभी
एक चिठ्ठी मुझे
पहले
जैसी
बेबाक
दूध-धुली
शैशवी मुस्कान सी चिठ्ठी
मासूम
किशोर सी
कुलाँचे भरती चिठ्ठी
या फिर
अधखुली-रतनारी आँखों सी
जवान सी चिठ्ठी,
लड़्खड़ाती साँसों
अदन्त मुहं
झुर्रियों के जंगल सी
चिठ्ठी भी
लिखना चाहो तो
लिख सकते हो तुम
परन्तु
मत लिखना
अधेड़ परेशान सा पत्र
उससे तो
तुम्हारा न लिख्नना
ही अच्छा है