अपाहिज


वह देखने में शरीफ घराने का लड़का लगता था। वह प्रतिदिन रेलवे स्टेशन आता; हर कम्पार्टमेण्ट में बाहर से झाँकता रहता... जिस कम्पार्टमेण्ट में अकेली लड़की दिखती उसी में चढ़ता और ट्रेन चलना प्रारम्भ करती तभी एक झटके में फिल्मी हीरो की तरह उस लड़की का होंठों का चुंबन लेता, यह लड़की जब तक कुछ समझ पाती वह तेजी से चलती गाड़ी से कूद जाता।
एक दिन वह जिस लड़की का चुम्बन लिया, तत्काल उसने प्रतिक्रिया स्वरूप एक हाथ से इसका काॅलर पकड़ा और दूसरे हाथ से एक जोरदार थप्पड़ गाल पर रसीद कर दियाकृइस अप्रत्याशित प्रतिशोध की उसने कल्पना नहीं की थी, अस्तु आनन-फानन में लड़की से जान छुड़ाकर वह प्लेटफार्म की तरफ गिरने के बजाय लाईन साइड में गिर गया, जिससे उसके एक हाथ एवं पैर घटनास्थल पर ही कट गये, किसी तरह उसकी जान बच पायी... अब वह प्रतिदिन नयी लड़की के होंठों के साथ खिलवाड़ करने लायक नहीं रहा।

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