डॉ. रमाशंकर चंचल
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खयात बाल साहित्यकार शशांक मिश्र 'भारती' की ताजा निबन्ध कृति-क्यों बोलते
हैं बच्चे झूठ, पढने का सौभाग्य मिला। बालविज्ञानके अद्भुत पारखी भारती जी
की यह कृति बच्चों के मनोविज्ञान पर केन्द्रित छोटे-छोटे, सहज, सरल,
प्रभाव. प्रवाहशील निबन्ध-१, क्यों होते हैं बच्चे निराश २,बच्चों में कौशल
सम्बन्धी विभिन्नताएं ३,अनुकरण की प्रक्रिया ४,क्यों बोलते हैं बच्चे झूठ
५.समान आयु के बालकों में विभिन्नताएं ६.बालकों के समक्ष समस्याएं व उनका
समाधान ७.खेलों का बालकों की सीखने की प्रक्रिया पर प्रभाव ८.अधिगम
सम्बन्धी समस्याएं और उनका समाधान ९. स्कूल आने से क्यों डरते हैं बच्चे
१०.क्यों बन जाते हैं बच्चे जिद्दी ११.क्या शान्त कर पातें हैं आप आने
बालकों की जिज्ञासाएं १२.प्राथमिक शिक्षा की समस्याएं जैसे महत्वपूर्ण
विद्गायों पर केन्द्रित हैं। पठनीय अनुकरणीय इन निबन्धों में बड़ी सहजता से
भारती जी ने सभी समस्याओं के कारण और निदान बताए हैं।
बच्चों को सही दिशा-ज्ञान देती यह दुर्लभ कृति सचमुच वंदनीय है। जिसकी
नितान्त आवश्यकता थी। सच तो यह है कि देश के हर प्राथमिक शाला के वाचनालयों
में नितांत जरूरी ऐसी कृति का शिक्षकों द्वारा अध्ययन व सार्थक उपयोग होगा।
आज श्रेष्ठ व सही दिशा देने वाले साहित्य का अभाव है। ऐसे समय ऐसी कृति का
आना प्रसन्नता व स्वागत का विषय है। पूर्व प्रकाशित आपकी कृतियां हम बच्चे,
बिना विचारे का फल, पर्यावरण की कविताएं भी चर्चित व सार्थक रहीं।
उक्त कृति भी पूरे सम्मान, प्रशंसा, सराहना का हक रखती है। लेखक भारती जी व
प्रकाशक दोनों को साधुवाद।
कृतिः- क्यों बोलते हैं बच्चे झूठ(निबन्धसंग्रह)
लेखकः-शशांक मिश्र''भारती''दुबौला२६२५२९ पिथौरागढ उ०अखण्ड
प्रकाशकः- सापेक्ष प्रकाशन,आई२०४,गोविंदपुरम्, गाजियाबाद उ०प्र०
पृष्ठ-६४ मूल्यः- ४० रूपये
समीक्षकः-डॉ. रमाशंकर चंचल,झाबुआ म०प्र०